हितोपदेश (केवल हिंदी में) Hitopadesh in Hindi only
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‘भगवान् दत्तात्रेय’ चौबीस अवतारों में से एक थे। उनके गुरु थे कौए और कबूतर, मगर और अजगर, हिरण और शेर आदि । इन्हीं की रोमांचक कहानियों का भंडार है ‘हितोपदेश’, जिसे पढ़ने के लिए संसारभर के लोग भारत आते थे। मूल रूप में श्री नारायण पंडित ने यह संस्कृत में रचा था।
राष्ट्र भाषा का स्थान अब हिन्दी ले चुकी है, – इसलिए समूचे ग्रंथ का मुहावरेदार हिन्दी में ऐसा प्रामाणिक रूपान्तर प्रस्तुत है जिसकी सभी ने मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की है। ‘हितोपदेश’ सर्वतोमुखी ज्ञान का भण्डार हैं। इसका एक-एक वाक्य एक- एक लाख रुपये का है। सर्वांगीण विकास के लिए इसे बच्चों को भेंट करें, इसे हर लायब्रेरी, हर घर की टेबल पर सजाएँ, ‘हितोपदेश’ सर्वज्ञ और अंतर्यामी बना देगा ।
‘भगवान् दत्तात्रेय’ चौबीस अवतारों में से एक थे। उनके गुरु थे कौए और कबूतर, मगर और अजगर, हिरण और शेर आदि । इन्हीं की रोमांचक कहानियों का भंडार है ‘हितोपदेश’, जिसे पढ़ने के लिए संसार भर के लोग भारत आते थे। मूल रूप में श्री नारायण पंडित ने यह संस्कृत में रचा था।
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