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₹300.0017% offBharat Gandhi Nehru ki chhaya me – भारत गांधी नेहरू की छाया में
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Bharat Vikhandan – भारत विखण्डन Paperback (Rajiv Malhotra Aravindan Neelkandan)
भारत विखण्डन एक पुस्तक है जो भारत और इसकी विविध संस्कृति के भीतर अव्यक्त क्षमता के पक्ष में बोलती है। यह तर्क देता है कि तीन प्रमुख पश्चिमी संस्कृतियों द्वारा देश की अखंडता को पतला किया जा रहा है और इस प्रक्रिया के परिणाम पर चर्चा करता है। यह पुस्तक प्रसिद्ध द्रविड़ आंदोलन की उत्पत्ति की जांच करती है जिसने हमारे देश की विशाल संस्कृति को आकार दिया, जबकि दलित पहचान और इसकी वर्तमान स्थिति पर भी ध्यान दिया। यह भी कहा गया है कि पुस्तक मुख्य रूप से स्वतंत्र भारत के अधीनता, निगरानी और तोड़फोड़ पर केंद्रित है। भारत विखण्डन आधुनिक भारत में बदलते रुझानों को बारीकी से देख रहा है और इसके विकास और अंततः कमजोर पड़ने के कारणों पर सवाल उठा रहा है। हमारी प्राथमिकताओं और निष्ठाओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करते हुए राष्ट्र के लिए एक वेकअप कॉल है। इसकी ऐतिहासिक और संघर्षपूर्ण सामग्री के लिए प्रशंसा की गई है, जबकि उन कठोर सच्चाइयों से इनकार करने से इनकार किया जाता है, जिन पर चर्चा करने की आवश्यकता है।
₹450.00 -
संस्कार विधि (Sanskar Vidhi)
भारतीय संस्कृति में संस्कारों का विशेष महत्व है । संस्कार हमारे जीवन के आधार हैं । संस्कार का अर्थ होता है शुद्ध करना , साफ करना , चमकाना और भितरी रूप का प्रकाशित करना । हमारी दिनचर्या की भाँति हमारी जीवनचर्या भी निसमित है । जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त के मानव जीवन का गम्भीर अध्ययन करके महर्षि दयनन्द ने मनुष्य के पूर्ण विकास के लिए ऐसा विकास जिसमें शरीर , मन , आत्मा तीनों की उन्नति हो , जिन सुनहरे नियमों की रचना की है उन्हें हम अपनी जीवनचर्या के नियम कहते हैं । हमारे संस्कार भी इसी जीवनचर्या के प्रमुख अंग हैं । – आईए महर्षि दयानन्द कृत संस्कार विधि द्वारा सोलह संस्कारों की पूर्ण विधि जानें । अंग्रेजी में भी उपलब्ध ।
The Samskāravidhi revived the practice of the Panchamahāyajnas , and the sixteen Samskāras . It represents the synthetic view of the rishis on the Samskāras . It is the authority on the Samskāras . It is not a manual only for the Purohitas . It is a guide book for all people of all classes . It is like the lighthouse in the ocean of life . It conveys the universal message of the Vedas and the rishis to build a better individual and a better world . Its message is for the brahmachari , the acharya , the grihasthi , the vānaprasthi , and the sanyasin , that is , for all classes of people . It is right for all people of all Varnas to perform the Garbhādhāna and other holy Samstāras sacraments prescribed by the Vedas . These sacraments sanctify the body and enhance purification here in this world , and in the hereafter too . -Manusmriti 2/1 . It is absolutely right for all the people to perform the Samskāras , because by their performance the Sharira ( body ) and the atman ( soul ) are refined , and Dharma , Artha , Kāma and Moksha are be attained and the children become more cultured and noble . – Maharishi SvamiDayanandSarasvati .₹125.00संस्कार विधि (Sanskar Vidhi)
₹125.00 -
सत्यार्थ प्रकाश Satyarth Prakash By: Swami Dayanand Sarswati
सन् 1925 में महर्षि दयानन्द सरस्वतीजी के जन्म को सौ वर्ष पूरे हो चुके थे । इस अवसर पर मथुरा में जन्मशताब्दी समारोह का विश्व स्तर पर आयोजन किया गया , जिसके प्रधान आर्य जगत् के प्रमुख विद्वान् ऋषिभक्त , योगी एवं नेतृत्व करने की असीम क्षमता से युक्त महात्मा नारायण स्वामी जी थे । इस समारोह में लाखों की संख्या में लोग मथुरा पहुंचे थे जो एक अविस्मरणीय आयोजन बन गया था । इस अवसर की महत्ता को समझकर श्री गोविन्दरामजी ने ‘ सत्यार्थप्रकाश ‘ को प्रकाशित कर सस्ते मूल्य पर प्रसारित करने का संकल्प किया । महर्षि दयानन्द की इस महत्वपूर्ण कृति को बिना किसी प्रक्षेप के मूल रूप में प्रकाशित किया जा रहा है । कम्प्यूटर कृत कम्पोजिंग , शुद्ध सामग्री , नयनाभिराम छपाई , उत्तम कागज एवं सुन्दर आवरण युक्त यह संस्करण आपको अवश्य पसन्द आएगा और आप इससे लाभान्वित होंगे ऐसी आशा है । अंग्रेजी में भी उपलब्ध ।
Satyartha Prakasha is an exposition of Truth , Dharma and Revelation in the modern context . Swami Dayananda referred back to the permanent message of the Vedas and exhorted the Indians to renew and rebuild their life and culture in new forms which were relevant in the new age .₹300.00 -
भूमिका भास्कर( दो भागो में ) – Bhumika Bhaskar (In two parts) Part- 1
महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अपने वेदभाष्य निर्माण से पूर्व एक विस्तृत भूमिका की रचना की जिसमें अपने वेदभाष्य के उद्देश्यों का स्पष्टीकरण किया । इस ग्रन्थ में ऋषि ने अपने सभी वेदविषयक सिद्धान्तों का विशद् निरूपण किया है । इसमें लगभग पैंतीस शीर्षकों के अन्दर वेद के प्रमुख प्रतिपाद्य पर प्रभूत प्रकाश डाला गया है जिन में से आगे लिखे विषय विशेष उल्लेखनीय – हैं – वेदोत्पत्ति , वेदनित्यत्व , वेदविषय , वेदसंज्ञा , ब्रह्मविद्या , वेदोक्तधर्म , सृष्टिविद्या , पृथिवी आदि का भ्रमण , गणित , मुक्ति , पुनर्जन्म , वर्णाश्रम , पञ्चमहायज्ञ , ग्रन्थप्रामाण्य , वेद के ऋषि – देवता – छन्द – अलंकार – व्याकरण | – – । स्वामी विद्यानन्द सरस्वती आर्यसमाज के संन्यासी विद्वद्वर्ग में अग्रगण्य थे । उनकी लेखनी में ओज तथा प्रवाह था , प्रतिभा के धनी और योजनाबद्ध लेखन कार्य करने की प्रवृत्ति से पूरिपूर्ण थे । ऋषि दयानन्द की उत्तराधिकारिणी परोपकारिणी सभा का सुझाव था कि ऋषि के ग्रन्थों के उक्त वचनों का स्पष्टीकरण और विशद् व्याख्याएँ तैयार कराकर प्रकाशित की जाएं । इसीलिए स्वामी जी ने इस कार्य को करने का संकल्प किया और ‘ भूमिकाभास्कर की संरचना की ।
₹1,000.00